महिलाओं को रोजगारमुखी बनाने में सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों का उदासीन रवैया: माया श्रीवास्तव

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महिलाओं को रोजगारमुखी बनाने में सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों का उदासीन रवैया: माया श्रीवास्तव
महिलाओं को रोजगारमुखी बनाने में सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों का उदासीन रवैया: माया श्रीवास्तव
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समर्थ नारी समर्थ भारत की ओर से हावड़ा स्थित कार्यालय में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को रोजगारमुखी बनाने में आ रही बाधाओं और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही लापरवाही पर चर्चा करना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीमा सिंह ने की, संचालन सुनीता दत्त ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रीति गुप्ता ने प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संगठन की राष्ट्रीय सह-संयोजिका तथा पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार प्रभारी माया श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। लेकिन जानकारी के अभाव और सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के उदासीन रवैये के कारण इन योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पा रहा है।

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उन्होंने बताया कि हर वर्ष करोड़ों रुपये की योजनाएं तो बनाई जाती हैं, लेकिन महिला वर्ग तक सही जानकारी नहीं पहुँचने से यह पैसा वापस चला जाता है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं सबसे ज्यादा वंचित रहती हैं, क्योंकि वहां सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों का सहयोग नहीं मिलता।

माया श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में महिलाओं के लिए अलग से एक विशेष कार्यालय होना चाहिए, जिसमें महिला अधिकारी और कर्मचारी ही तैनात हों। इससे महिलाएं न केवल सहज रूप से अपनी समस्याएं रख पाएंगी बल्कि सरकारी योजनाओं के बारे में खुलकर जानकारी भी ले सकेंगी।

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उन्होंने कहा कि “महिलाएं कुछ करना चाहती हैं, लेकिन जानकारी और सहयोग के अभाव में वे कदम आगे नहीं बढ़ा पातीं। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की स्थिति आज भी बेहद दयनीय बनी हुई है।”

इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। इनमें सीमा सिंह, सरिता सिंह, प्रीति गुप्ता, गुड़िया गुप्ता, पुतली गुप्ता, रीता साव, पिंकी साव, सुधा गुप्ता, संगीता शर्मा, अनिमा बनर्जी, कविता घोष, सुनीता दत्त, रिंकू बोस, रीता कर्ण, सीमा चटर्जी, सुधा वर्मा और पिंकी कर्ण जैसी प्रमुख महिलाएं मौजूद थीं।

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