सोमवार को बेलपत्र तोड़ना चाहिए या नहीं। बेलपत्र कब तोड़ना चाहिए, इस विषय में आज जानकारी प्राप्त करेंगे। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने के लिए बेलपत्र का उपयोग किया जाता है। गंगाजल के साथ बेलपत्र भगवान शिव पर चढ़ाने का विधान है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का बड़ा ही महत्व है। बिना बेलपत्र के शिव पूजा पूर्ण नहीं होती है।
भगवान शिव की जब भी पूजा होती है तो शिवलिंग पर बेलपत्र अवश्य चढ़ाया जाता है। सावन के महीने में बेलपत्र का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि सावन में भगवान शिव की आराधना ज्यादातर लोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत दिनों पर बेलपत्र तोड़ने से आपको पूजा में लाभ क्या स्थान पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए बेलपत्र कब तोड़ना चाहिए, यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है।
पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है
शिव पुराण के अनुसार, कुछ ऐसी तिथियां होती है जिसमें बेलपत्र तोड़ने से मना किया जाता है। उन दिनों में बेलपत्र तोड़ने से आपकी पूजा स्वीकार नहीं होती और उनका पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। जिन दिनों में बेलपत्र तोड़ने के लिए मना किया जाता है उनमें सोमवार का दिन भी आता है। पढ़ें- गाड़ी खरीदने के लिए कौन सा दिन अच्छा होता है? जानिए शुभ दिन
सोमवार को नहीं तोड़ना चाहिए बेलपत्र
भगवान शिव को ताजा बेलपत्र चढ़ाने के लिए लोग सोमवार को ही बेलपत्र तोड़ते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ने से मना किया जाता है। यदि आप सब कुछ जानते हुए भी सोमवार को बेलपत्र तोड़ते हैं तो आप बहुत गलत करते हैं। सोमवार को बेलपत्र चढ़ाना हो तो रविवार को ही बेलपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए। शास्त्रों में बेलपत्र के बारे में कई बातें लिखी गई हैं। आइए जानते हैं-
ब्रह्महत्या का पाप होता है नष्ट
स्कंद पुराण के अनुसार, रविवार और द्वादशी के दिन बेल के पेड़ का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन से ब्रह्महत्या जैसे महा पाप नष्ट हो जाते हैं। बेल का पेड़ लगाने से दरिद्रता दूर होती है और घर में निरंतर लक्ष्मी निवास करती है। माना जाता है कि जिन स्थानों पर बेल के अधिक पौधे पाए जाते हैं, वह स्थान पवित्र माना जाता है। ऐसी जगहों पर रोज शिवलिंग की पूजा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
जो लोग ताजा बेलपत्र चढ़ाने के चक्कर में सोमवार को बेलपत्र तोड़ते हैं वह इस बात से अनजान होते हैं कि बेलपत्र 6 महीने तक बासी नहीं होता है। कई बार ऐसा होता है कि बेलपत्र चढ़ाने के लिए नहीं मिल पाता है। ऐसे में यदि आपके पास शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र नहीं है तो चिंता करने की बात नहीं है। आप मंदिर से ही दूसरों द्वारा चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर उसे फिर से शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। ऐसा करना गलत नहीं माना जाता है और बेलपत्र 6 महीने तक बासी नहीं होता है।
किन तिथियों में बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए?
तिथि की बात करें तो कुछ खास तिथियों में बेलपत्र तोड़ने के लिए मना किया जाता है। जिन तिथियों में बेलपत्र हमें नहीं तोड़ना चाहिए, वह है- चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, पूर्णिमा, द्वादशी, चतुर्दशी, संक्रांति और सोमवार को और दोपहर के बाद बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इस तिथियों को बेलपत्र को तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। पढ़ें- सपने में ट्रेन छूटना – क्या होता है इसका मतलब, जानें इसके शुभ-अशुभ फल
बेल का पेड़ लगाने से बढ़ती है समृद्धि
घर के आंगन में बेल का पेड़ लगाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। यह पापनाशक और यशस्वी होता है। बेलपत्र का पेड़ घर के उत्तर-पश्चिम में लगाना शुभ माना जाता है। घर के उत्तर पश्चिम में बेलपत्र का पौधा लगाने से यस में वृद्धि होती है। घर के उत्तर दक्षिण की दिशा में बेल का पेड़ लगाने से घर में सुख शांति बढ़ती है।