पटना। बिहार विधानसभा इलेक्शन को लेकर चुनाव आयोग तैयारियों में जुटा है। इसके साथ-साथ बिहार की सभी पार्टियाँ भी तैयारियों में जुटी हुई है। लेकिन बिहार विधानसभा इलेक्शन को लेकर अब खतरा मंडराने लगा है। सुप्रीम कोर्ट में बिहार विधानसभा चुनाव को रोकने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस संबंध में पटना हाईकोर्ट में भी दो याचिका लंबित है।
दरअसल बिहार असेंबली इलेक्शन को कोरोना के दौरान रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। कोरोना महामारी और बाढ़ संकट के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका को उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि कोरोना और बाढ़ खत्म होने तक चुनाव की अधिसूचना पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए।
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव अपने तय समय पर ही होगा। इसके विरोध में दायर की गई याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के समय से आयोग की टीम चुनाव के तीन से चार महीने पहले दौरा शुरू कर देती थी, लेकिन 17वीं विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर अभी तक आयोग की टीम बिहार नहीं आई।
सुप्रीम कोर्ट में बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता और याचिकाकर्ता राजेश कुमार जायसवाल ने चुनाव आयोग समेत छह महकमों को भी इसमें पार्टी बनाया है। इनमें मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्य चुनाव अधिकारी, मुख्य सचिव बिहार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और गृह सचिव को शामिल किया गया है।
दूसरी तरफ पटना हाईकोर्ट में भी इससे संबंधित तीन याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है। लॉकडाउन की वजह से मार्च से ही पटना हाईकोर्ट वर्चुअल मोड में बेहद जरूरी सुनवाई कर रहा है।
इन याचिकाओं पर सुनवाई को लेकर पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील तारकेश्वर ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है वह सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर सकता है। वह पटना हाईकोर्ट लंबित याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए तलब कर सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इसपर क्या फैसला देती है।