पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2020) जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बिहार में कई परियोजनाओं की सौगात देने का सिलसिला चालू हो गया है। शुक्रवार को पीएम मोदी (Narendra Modi) ने बिहार में कई योजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें सबसे खास है कोसी रेल महासेतू परियोजना है।
बता दें कि 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कोसी रेल महासेतू (Koshi Rail Bridge) की आधारशिला रखी थी। अब जाकर इस योजना को फिर से बीजेपी की सरकार ने पूरा किया है। कल से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। जिससे कई इलाके आपस में जुड़ जाएंगे।
कोसी रेल महासेतू के बनने से मिथिलांचल दो भाग जो वर्षों से विभक्त थे, कल से एक हो जाएगा। सुपौल के आम लोग भी बहुत खुश हैं। स्टेशन पर पहुंच कर तैयारियों को देख रहे हैं। लोगों का कहना है 86 सालों के बाद मिथिलांचल दो भागों में विभक्त था कल से एक हो जाएगा।
सुपौल वासियों का कहना है कि सुपौल निवासियों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। 19 सितंबर से रोज सवारी गाड़ी का परिचालन शुरू हो जाएगा। हमलोगों के लिए बहुत ही ऐतहासिक दिन है।
86 साल से पुल का इंतजार हुआ खत्म
बिहार में 1934 में भूकंप आया था। इस भूकंप में कोसी नदी पर बना रेल पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। तबसे कोसी क्षेत्र के लोगों को रेल पुल का इंतजार था। रेल पुल के टूटने के बाद उत्तर बिहार और पूर्व बिहार के बीच रेल संपर्क टूट गया था।
516 करोड़ है लागत
कोसी नदी पर बना यह कोसी रेल पुल की कुल लागत 516 करोड़ रुपए है। पुल की लंबाई 1.9 किमी. है। कोसी रेल महासेतू से सबसे ज्यादा लाभ दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले के लोगों को होगा। कोली रेल पुल के साथ ही लखीसराय में किउल नदी पर एक रेल पुल, दो नई रेल लाइनें, एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड, पांच विद्युतीकरण से संबंधित कार्य शामिल हैं।
इसके अलावा बाढ़ और बख्तियारपुर में तीसरी रेल लाइन परियोजना का उद्घाटन भी किया गया। उत्तर बिहार में हाजीपुर-घोसवार-वैशाली रेल लाइन का उद्घाटन किया गया। यह रेल लाइन ₹450 करोड़ की लागत से बना है। पटना और गया के बीच एक वैकल्पिक मार्ग इस्लामपुर-नेटसर लाइन का उद्घाटन किया गया।