घरों में कई बार छिपकली हमारे पैरों पर चढ़ जाते हैं। छिपकली के पैर पर चढ़ने से लोग इतने डर जाते हैं कि छिपकली के पास जाने से भी कतराते हैं। छिपकली का किसी विशेष समय पर गिरना, शरीर के किसी भाग पर गिरना, बाएं या दाहिने पैर पर चढ़ना, छिपकली का पेट पर गिरना, छिपकली का बिस्तर पर गिरना, इत्यादि का अलग-अलग मतलब होता है।
हर घर में छिपकली पाई जाती है। वैसे तो छिपकली किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाती है लेकिन ज्यादा छिपकली घर में होने से थोड़ा असहज महसूस जरूर होता है। रात में घरों की दीवारों पर छिपकली का दौरना भी किसी खतरे से कम नहीं होता है। हमेशा इस बात डर बना रहता है कि कहीं छिपकली शरीर पर न गिर जाए।
छिपकली का गिरना हमेशा अशुभ नहीं होता है। लेकिन शकुन शास्त्र के अनुसार, अलग-अलग समय पर और अलग-अलग अंगों पर छिपकली का गिरना शुभ और अशुभ होता है। यहां इस बात पर निर्भर करता है कि छिपकली शरीर के किस अंग के किस भाग पर गिरी और किस समय गिरी। पढ़ें – शकुन-अपशकुन की खबरें
बाएं पैर पर छिपकली चढ़ना शुभ या अशुभ
छिपकली अगर दाएं पैर या दाएं एड़ी पर गिरे तो यात्रा से लाभ मिलता है। वहीं छिपकली का बाएं पैर या बाईं एड़ी पर गिरना अशुभ होता है। इससे घर में कलह, दुख और बीमारी होता है। दाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। वहीं बाएं पैर के तलवे पर छिपकली का गिरना, व्यापार में हानि को दर्शाता है।
दाहिने पैर के घुटने पर छिपकली गिरने से यात्रा का संयोग बनता है। बाएं घुटने पर छिपकली गिरने का मतलब बुद्धि का हानि होने वाली है। वहीं अगर दाहिनी जांघ पर छिपकली गिरे तो इससे जीवन में सुख मिलता है। बाईं जांघ पर छिपकली का गिरना अशुभ होता है। इससे व्यक्ति को दुख और शारीरिक कष्ट मिलता है। दाहिनी कंधे पर छिपकली गिरने से किसी भी काम में विजय की प्राप्ति होती है जबकि बाएं कंधे पर छिपकली गिरने से धन की हानि होती है।