संस्कार भारती, सहरसा इकाई द्वारा “कला संवाद” बैठक का हुआ आयोजन

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हरिओम कुमार, सहरसा। कला जगत की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती के सहरसा इकाई द्वारा 13 मार्च (रविवार) को नगरपालिका चौक स्थित रणधीर भगत के आवास पर कला संवाद की बैठक आयोजित की गई। बैठक की विधिवत शुरुआत संस्कार भारती के ध्येय गीत से की गई।

सभी अतिथियों का स्वागत एवं परिचय के बाद परिचर्चा में शामिल सभी लोगों ने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता आंदोलन में कला/ संस्कृति एवं साहित्य की भूमिका पर अपने सुझाव एवं विचार व्यक्त किए। परिचर्चा में निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई –

कोसी क्षेत्र के कई लोगों ने आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, मिथिला एवं कोसी के कई युवाओं एवं चित्रकारों ने भी कला एवं साहित्य के द्वारा जन जागरण का कार्य किया, आज़ादी की लड़ाई में साहित्यकार, संगीतकार, कलाकारों ने भी अपनी महती भूमिका निभाई है, कोसी की धरती से कई ऐसे विद्वान हुए हैं जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपने कला विधाओं से राष्ट्रीय चेतना एवं जन जागरण का कार्य किया, आज उन्हें बहुत लोग नहीं जानते हैं। ऐसे विस्मृत स्वतंत्रता सेनानी, कला साधकों को पहचान करने की जरूरत है। परिचर्चा के दौरान डॉ विनय कुमार चौधरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संविधान की मूल प्रति का हमें अध्ययन करना चाहिए। संविधान की मूल प्रति में सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना को चित्रकारिता से जोड़ा गया है। संविधान के मूल प्रति के प्रत्येक खंड में प्रभु श्री राम, गीता का उपदेश से लेकर महावीर बुद्ध, महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों को भी चित्रकारिता से उल्लेखित किया गया है।

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परिचर्चा में संस्कार भारती उत्तर बिहार के प्रांत मंत्री राकेश झा ने दरभंगा में आयोजित होने वाली आगामी कार्यक्रम “मिथिला कला उत्सव” से संबंधित कार्यक्रम परिकल्पना को सभी से साझा किया। उन्होने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मिथिला क्षेत्र के नई पीढ़ी हमारी पुरानी संस्कृति से दूर हो गई है, वे अपनी सांस्कृतिक पहचान से जुड़े नहीं हैं। उनमें स्वतंत्रता चेतना एवं सांस्कृतिक चेतना की जरूरत है। नई पीढ़ी को मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर, सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने की जरूरत है। स्वतंत्रता आंदोलन में मिथिला क्षेत्र की भी महती भूमिका रही है। दरभंगा में आयोजित आगामी तीन दिवसीय मिथिला कला उत्सव में मिथिला क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी, लोकगीत, नृत्य, साहित्य, नाटक सभी को कार्यक्रम के माध्यम से उद्धृत किया जाएगा, साथ ही मिथिला चित्रकला पर कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी।

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संस्कार भारती बिहार प्रदेश के संगठन मंत्री वेद प्रकाश जी ने कहा कि देश की आजादी में कलाकारों ने भी अवदान दिया है, स्वतंत्रता आंदोलन में मिथिला के कलाकारों की भी भूमिका रही है, हमें उन्हें चिन्हित करने की जरूरत है। कला के माध्यम से हमारे पूर्वजों ने भी तर्पण किया है। हम अपने स्तर से भी आगामी एक वर्षों तक कला साहित्य के माध्यम से कुछ कर सकते हैं। समाज जीवन में रहने वाले कई ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने विधाओं से समाज को जागृत करने का कार्य कर रहे हैं। समाज की शक्ति समाज में ही फैली हुई है, हमें उसे पहचान करने की जरूरत है। समाज को सज्जन शक्ति के हाथों सौंप देना चाहिए। संस्कार भारती के माध्यम से वैचारिक दृष्टि को बदलने की जरूरत है। संस्कार भारती कला संस्कृति के क्षेत्र में प्रदर्शन आधारित कार्य कर रही थी अब विमर्श आधारित कार्य करने की पहल कर रही है। संस्कार भारती व्यवस्था परिवर्तन में अपना योगदान दे रही है। संस्कार भारती का उद्देश्य राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक चेतना आधारित कार्य करना एवं कला क्षेत्र में संवाद स्थापित करना है।

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बैठक के अंत में संस्कार भारती सहरसा इकाई के जिला संयोजक रवि कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन एवं आभार व्यक्त किया।

परिचर्चा में रणधीर भगत, प्रोफेसर के एस ओझा, अरविंद मिश्र नीरज, डॉ विनय कुमार चौधरी, प्रोफेसर भारती झा, रामप्रकाश रामानी, हरिओम कुमार, अर्चना मिश्रा, आकृति, मीनाक्षी दास, कुमारी मोनालिसा झा, यस दीपांकर, उत्सव भारद्वाज, अभिजीत, विवेकानंद कुमार, शुभम आनंद, मोहम्मद निजाम अख्तर, रंजीत कुमार, विकास वर्धन, शालिनी सिंह तोमर, हीरानंद झा, बालकृष्ण झा सहित जिले के कई कला साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।